सरकारी कर्मचारियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, बताया- इन कर्मचारियों पर नहीं लिया जा सकता एक्शन supreme court

By Meera Sharma

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supreme court: सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के हितों की रक्षा करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि रिटायर्ड सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती है। यह निर्णय हर सरकारी कर्मचारी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे उनके अधिकारों की स्पष्टता होती है और भविष्य में होने वाली अनावश्यक परेशानियों से बचाव मिलता है।

अनुशासनात्मक कार्रवाई की सही प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया है कि विभागीय कार्यवाही की शुरुआत कारण बताओ नोटिस से नहीं हो सकती। न्यायालय ने कहा कि अनुशासनात्मक कार्रवाई केवल तभी शुरू की जा सकती है जब सक्षम प्राधिकारी द्वारा आरोपपत्र जारी किया जाए। यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है जो कर्मचारियों को गलत तरीके से परेशान करने से रोकता है और उचित प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करता है।

झारखंड हाईकोर्ट के फैसले की पुष्टि

यह मामला तब सामने आया जब भारतीय स्टेट बैंक ने झारखंड हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने एक कर्मचारी के खिलाफ जारी बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले से सहमति जताते हुए एसबीआई की याचिका को खारिज कर दिया। इससे यह साबित होता है कि न्यायपालिका कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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मामले का विस्तृत विवरण

इस केस में शामिल कर्मचारी नवीन कुमार पर आरोप था कि उसने अपने रिश्तेदारों के लिए लोन स्वीकृत करने में बैंकिंग मानदंडों का उल्लंघन किया था। कर्मचारी ने अपनी 30 साल की नियमित सेवा पूरी करने के बाद एसबीआई से सेवानिवृत्ति ली थी। बाद में उसकी सेवा को 1 अक्टूबर 2010 तक बढ़ाया गया था। इसके बाद सेवा में और विस्तार नहीं किया गया।

समस्या यह थी कि कर्मचारी के खिलाफ कारण बताओ नोटिस 18 अगस्त 2009 को जारी किया गया था, लेकिन अनुशासनात्मक कार्यवाही 18 मार्च 2011 को शुरू की गई। उस समय तक कर्मचारी पहले से ही रिटायर हो चुका था और उसकी विस्तारित सेवा अवधि भी समाप्त हो चुकी थी।

न्यायालय का स्पष्ट मत

सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि रिटायरमेंट के बाद किसी भी सरकारी कर्मचारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू नहीं की जा सकती। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि सक्षम प्राधिकारी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और केवल वही आरोपपत्र जारी करने के बाद कार्रवाई की शुरुआत कर सकता है।

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एसबीआई की दलील और न्यायालय का जवाब

एसबीआई के वकील ने तर्क दिया कि कर्मचारी ने खुद ही जांच अधिकारी और अनुशासनात्मक प्राधिकारी के सामने स्वीकार किया था कि वह 30 अक्टूबर 2012 को सेवानिवृत्त होगा। उन्होंने यह भी कहा कि कर्मचारी ने हाईकोर्ट में यह नहीं कहा था कि वह 1 अक्टूबर 2010 से रिटायर हो चुका था। फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को नहीं माना और अपने फैसले पर कायम रहा।

कर्मचारियों के लिए राहत

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सभी सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है। न्यायालय ने एसबीआई को निर्देश दिया है कि वह कर्मचारी के सभी बकाया राशि छह सप्ताह के भीतर जारी करे। यह फैसला यह संदेश देता है कि रिटायरमेंट के बाद अनावश्यक परेशानियों से कर्मचारियों को बचाव मिलेगा और उनके अधिकारों की पूरी सुरक्षा होगी।

अस्वीकरण: यह लेख समसामयिक जानकारी पर आधारित है। कानूनी सलाह के लिए किसी योग्य वकील से संपर्क करें। नियम और प्रक्रियाएं समय-समय पर बदल सकती हैं।

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Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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